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18 Dec, 2025
राज्य
Updated Sat, 27 Mar 2021 9:42 IST
परीक्षाओं के बाद अब रिजल्ट का मौसम आया हुआ है. दूर-दराज के इलाकों में कम सुविधाओं के बीच भी स्टूडेंट्स टॉप करते दिख रहे हैं. इस बीच थोड़ी जानकारी दुनिया के सबसे मुश्किल एग्जाम के बारे में लेते हैं. वैसे तो दुनिया में एक से बढ़कर एक मुश्किल परीक्षाएं हैं.लेकिन मास्टर सोमैलिअर डिप्लोमा एग्जाम इस श्रेणी में सबसे ऊपर आता है. चार चरणों में होने वाली इस परीक्षा के आखिरी चरण में परीक्षा देने वाले को शराब को सूंघकर बताना होता है कि वो कहां की है और कितने सालों पहले तैयार हुई. इसमें प्रायः एग्जाम में बैठने वाले सारे ही परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं.
साल 1977 में शराब के चाहने वालों ने मिलकर एक संस्था तैयार की, जिसे नाम दिया कोर्ट ऑफ मास्टर सोमालियर (CMS). इसका मकसद था शराब के शौकीनों को परोसने वाले इस तरह का मिश्रण बनाकर शराब दें कि उसका मजा बढ़ जाए. इसमें इस बात की ट्रेनिंग भी शामिल थी कि किस तरह की अल्कोहल के साथ कौन सी खाने की चीज सबसे अच्छी रहेगी. हालांकि इससे पहले ही लंदन में साल 1969 में पहला मास्टर सोमैलिअर एग्जाम हो चुका था. बाद में इसे ही संस्था का रूप देकर ज्यादा व्यवस्थित तरीके से परीक्षा की शुरुआत हुई.
ये वाइन प्रोफेशनल को दी गई टर्म है. बेहद पॉश होटलों और रेस्त्रां में वाइन प्रोफेशनल होते हैं जो ग्राहकों को बेहतरीन शराब का मिश्रण उपलब्ध कराते हैं. साथ ही वे यह भी जानते हैं कि किस वाइन के साथ क्या खाना अच्छा रहेगा. इसे वाइन एंड फूड पेयरिंग कहते हैं. सोमैलिअर का ओहदा कोई छोटी-मोटी बात नहीं, बल्कि ये सितारा होटलों में chef de cuisine यानी ग्रांड शेफ की बराबरी का पद होता है. वैसे तो ये होटलों में थोड़ी-बहुत ट्रेनिंग के साथ ही वाइन प्रोफेशनल रख लिए जाते हैं लेकिन असल में इसका एक पूरा एग्जाम होता है जो दुनिया का सबसे मुश्किल एग्जाम कहा जाता है. इसे पास करने वाले इतने थोड़े हैं कि उनकी गिनती हो सकी है.
चार चरणों में इसकी परीक्षा होती है. पहला चरण इंट्रोडक्टरी होता है. इसमें ऐसा कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है, जिसे रेस्त्रां इंडस्ट्री में कुछ सालों का अनुभव हो. इसके लिए पहले दो दिन की पढ़ाई करवाई जाती है. इसके बाद मल्टीचॉइस एग्जाम होता है. इसमें शराब के बनने, अंगूर और सेब की किस्मों, शराब और खाने की पेयरिंग के बारे में सवाल होते हैं. लेकिन इस चरण में पास होने पर सोमैलिअर का टाइटल नहीं मिल जाता है, बल्कि केवल इंट्रोडक्टरी सोमैलिअर कहलाते हैं.
दूसरे चरण में सर्टिफाइड सोमैलिअर के लिए परीक्षा होती है. ये चरण उनके लिए है, जो पहले में पास हो चुके और अब एडवांस चरण का सर्टिफिकेट पाने के लिए भी खुद को तैयार मानते हैं. इस परीक्षा के भी कई हिस्से होते हैं. इनमें लिखित परीक्षा के अलावा आंखों पर पट्टी बांधकर शराब को सूंघकर उसका स्वाद, उससे बनने का वक्त, किस अंगूर से तैयार हुआ है और किस रंग का है, ये सब बताना होता है. इसमें चार तरह की वाइन के साथ ब्लाइंड टेस्ट होता है. इस चरण में शामिल होने वालों को सर्टिफाइड सोमैलिअर कहते हैं और लगभग 66% लोग इस परीक्षा को निकाल लेते हैं.
पहले दो चरणों को पास कर चुका शख्स ही इसमें आ सकता है. अमेरिका में साल में दो बार ये एग्जाम होता है. यूरोप में ये परीक्षा पांच दिनों तक चलती है. इसमें लिखित परीक्षा होती है, जिसमें 60 सवाल होते हैं. इसके बाद वाइन टेस्टिंग होती है. इसमें आंखों पर पट्टी के साथ 25 मिनट में 6 तरह की वाइन के बारे में अलग-अलग बातें बतानी होती हैं.
इसमें वही लोग शामिल हो सकते हैं, जो तीनों चरण पास कर चुके हैं, जिनके पास होटल इंडस्ट्री का कम से कम 10 सालों का तजुर्बा हो. साथ ही इसमें बैठने के लिए आप खुद से एग्जाम फॉर्म नहीं भर सकते, बल्कि इसके लिए आपसे ऊपर बैठे लोग आपको रिकमंड करेंगे, तभी आप इसका हिस्सा बन सकते हैं.
इसमें पूरी दुनिया की वाइन, कॉकटेल सबकी बात होती है. यहां तक कि शराब की फिलॉसफी पर भी सवाल होते हैं. एग्जाम इतना मुश्किल माना जाता है कि ये अलग-अलग टुकड़ों में तीन साल तक चल सकता है. कई लोग दर्जनों बार भी एग्जाम देते हैं. यानी लगभग पूरी जिंदगी और तब भी इसे पास नहीं कर पाते हैं. आजतक केवल 9 लोगों ने पहली ही बार में इसे पास किया है.







