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दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाज नष्ट, जानिये इसे बनने की कहानी

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Updated Mon, 28 Feb 2022 14:50 IST

दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाज नष्ट, जानिये इसे बनने की कहानी

दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाज एंटोनोव 225 रूसी हमले में तबाह हो गया है. यूक्रेनी रक्षा कंपनी यूक्रोबोरोनोप्रोम ने यह जानकारी दी है. इसे मिरिया के नाम से जाना जाता था जो एक कार्गो प्लेन था. जानकारी के मुताबिक कीव के बाहर चौथे दिन की लड़ाई में रूसी सेना ने इस विमान को तहस नहस कर दिया. यूक्रेन की ओर से ट्वीट कर कहा गया कि रूसी आक्रमणकारियों ने कीव के पास गोस्टोमेल में एंटोनोव हवाई अड्डे पर दुनिया के सबसे बड़े विमान मिरिया को नष्ट कर दिया. यूक्रेनी भाषा में मिरया को स्वप्न कहा जाता है.

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा, ‘यह दुनिया का सबसे बड़ा विमान, एएन-225 ‘मिरिया’ (यूक्रेनी में ‘ड्रीम’) था. शायद रूस ने हमारे मिरिया को नष्ट कर दिया है. लेकिन वे कभी भी एक मजबूत, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक यूरोपीय राज्य के हमारे सपने को नष्ट नहीं कर पाएंगे. हम अपने मकसद में कामयाब होंगे.’

यूक्रेन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बताया गया है कि रूसी आक्रमणकारियों ने दुनिया के सबसे बड़े विमान मिरिया को नष्ट कर दिया है. लेकिन हम इसे फिर बनाएंगे. हम स्वतंत्र, मजबूत और लोकतांत्रिक यूरोप के सपने को साकार करेंगे. यूक्रेन ने इस विमान की एक तस्वीर भी पोस्ट की है और उसके कैप्शन में लिखा है बेशक वह इस प्लेन को जला सकता है कि लेकिन मिरिया कभी नष्ट नहीं होगा. एएन -225 मिरिया छह टर्बोफैन इंजनों द्वारा संचालित विमान है. यह 640 टन के अधिकतम टेकऑफ़ भार के साथ उड़ान भर सकता था. यह अब तक का सबसे लंबा और सबसे भारी हवाई जहाज है. इसमें किसी भी विमान की तुलना में सबसे बड़ा पंख भी लगा है.

यूक्रेनी रक्षा कंपनी यूक्रोबोरोनोप्रोम ने अनुमान लगाया है कि इसके पुनर्निर्माण में करीब 3 अरब डॉलर का खर्च आएगा. इसे बनाने में भी पांच साल लगेंगे. यह विमान पूरी दुनिया में अनोखा था. 84 मीटर लंबा यह विमान 350 टन सामान को 850 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपने गंतव्य तक पहुंचा सकता था. इसका नाम मिरिया रखा गया था जिसे यूक्रेनी भाषा में सपना कहते हैं. हालांकि इसका निर्माण सोवियत काल में वैमानिकी कार्यक्रम के तहत किया गया था.

1988 में इसने अपनी पहली उड़ान भरी थी. सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे बहुत दिनों तक उड़ाया ही नहीं गया. 2001 में इसका फ्लाइट टेस्ट हुआ जो महज कीव से 20 किलोमीटर तक गया. वर्तमान में इसका संचालन यूक्रेन के एंटोनोव एयरलाइन के पास था. कोविड-19 के दौरान इस विमान की बहुत अधिक मांग हो गई थी.

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