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भारत से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स क्यों जाते हैं यूक्रेन और अभी किस हाल में हैं? जानिए

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Updated Thu, 17 Feb 2022 21:49 IST

भारत से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स क्यों जाते हैं यूक्रेन और अभी किस हाल में हैं? जानिए

यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित भारतीय दूतावास ने अभी 15 फरवरी को ही एक मशविरा जारी किया है. इसमें यूक्रेन में रह रहे भारतीय स्टूडेंट्स से कहा गया कि वे जितनी जल्दी हो सकें, देश छोड़ दें. अपने घर चले जाएं. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की परिस्थितियों के मद्देनजर यह मशविरा जारी किया गया है. ऐेसे में सवाल हो सकता है कि आखिर यूक्रेन में भारत के छात्र-छात्राएं हैं कितने? जो दूतावास के स्तर पर उनके लिए मशविरा जारी करना पड़ा. और भारतीय छात्र-छात्राओं को यूक्रेन में जाकर पढ़ने की जरूरत ही क्यों होती है? इनके जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

कितने भारतीय स्टूडेंट्स हैं यूक्रेन में 

एक आकलन के अनुसार, यूक्रेन में इस वक्त करीब 20,000 भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं. बीते महीने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत ने यह आंकड़ा दिया था. इनमें से अधिकांश मेडिकल की जुड़ी शाखाओं की पढ़ाई के लिए वहां हैं. जैसे- एमबीबीएस, डेंटल, नर्सिंग आदि. बताया जाता है कि करीब 2-3 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं तो उन इलाकों में हैं, जिनकी सीमाएं रूस से लगी हैं. रूस ने इन सीमाई इलाकों में करीब 1.30 लाख सैनिकों को पूरे साजो-सामान के साथ युद्ध के लिए तैयार स्थिति में तैनात कर रखा है. अमेरिका के साथ यूक्रेन की बढ़ती नजदीकी से रूस की नाराजगी है.

भारतीय स्टूडेंट्स के यूक्रेन जाने की वजह क्या है

भारत में अभी एमबीबीएस (MBBS) की करीब 88 हजार सीटें हैं. इनके लिए 2021 में ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में लगभग 8 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी बैठे थे. यानी करीब 7 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना ऐसे हर साल अधूरा रह जाता है. दूसरी बात- भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई का खर्च काफी महंगा है. यहां निजी मेडिकल कॉलेज से पढ़ने पर सब मिलाकर लगभग 1 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है. इतना ही नहीं, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए सुविधाएं भी तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर बताई जाती हैं.

इसके ठीक उलट यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का कुल खर्च करीब 25 लाख के आसपास होता है. इसके अलावा वहां मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए कड़ी परीक्षा या रिश्वत आदि देने का भी झंझट नहीं होता. तीसरा- वहां से पढ़ाई पूरी कर के लौटने के बाद अगर भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन (FMGE) पास कर लिया जाए, जो कि प्रैक्टिस शुरू करने के लिए अनिवार्य भी है, तो रोजगार की पुख्ता गारंटी भी हो जाती है.

अभी किस हाल में हैं भारतीय स्टूडेंट्स

यूक्रेन की खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रूस की सीमा से महज 35 किलोमीटर दूर है. यहां और इसके जैसे अन्य इलाकों के छात्रों में डर का माहौल है. यहां के कुछ भारतीय स्टूडेंट्स ने मीडिया को अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘शहर के चौराहों पर सैन्य टैंकों की तस्वीरें लगी हैं. सीमा पर गश्त करते हेलीकॉप्टरों की आवाजें हमें दिन-रात सुनाई देती हैं. इससे हमें अपनी जान का डर है. हम चाहते हैं कि हमारी सरकार कुछ करे क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि युद्ध होगा या नहीं.’ छात्र यह भी बताते हैं कि जब से भारतीय स्टूडेंट्स के लिए स्वदेश लौटने का मशविरा जारी हुआ है, विमान किराए में 2.5 गुना तक बढ़ोत्तरी हो गई है. पहले जो टिकट 80,000 रुपए में मिल रही थी, अब 2 लाख रुपए तक में मिल रही है. बताते चलें कि रूस-यूक्रेन तनाव के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, लातविया और डेनमार्क जैसे देश भी अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने का मशविरा जारी कर चुके हैं.

भारत सरकार अपने नागरिकों के लिए क्या कर रही है

बताया जाता है कि भारतीय दूतावास ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों के लिए सिर्फ मशविरा जारी नहीं किया है. बल्कि उसकी ओर से उनके बारे में अन्य जानकारियां भी जुटाई जा रही हैं. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक हाल ही में यूक्रेन के भारतीय दूतावास ने एक गूगल फॉर्म जारी किया है. इसके बारे में सूचना देते हुए वहां रह रहे सभी भारतीय नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस फॉर्म में अपने से संबंधित सूचनाएं भरें. इससे आपातकाल में भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने में मदद मिलेगी.

 

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