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डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 3 माह बाद घट जाता है कोविशील्ड का प्रभाव, लैंसेट की चौंकाने वाली स्टडी

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Updated Tue, 21 Dec 2021 18:18 IST

डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 3 माह बाद घट जाता है कोविशील्ड का प्रभाव, लैंसेट की चौंकाने वाली स्टडी

कोरोना महामारी से बचाव के लिए लगाई जाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. लैंसेट की इस स्टडी में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोविशील्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा 3 महीने के बाद घट जाती है. इस वैक्सीन को एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है जबकि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है. भारत में कोवैक्सीन के साथ-साथ कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग बड़े पैमाने पर किया गया है.

हालांकि लैंसेट ने अपनी पिछले अध्ययन में यह दावा किया था कि कोविशील्ड डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ काफी प्रभावी है. पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को यह 63 फीसदी सुरक्षा प्रदान करती है जबकि मध्यम से गंभीर बीमारी के विरुद्ध इसका प्रभाव 81 फीसदी है.

लैंसेट की नई स्टडी

नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक का स्कॉटलैंड और ब्राजील में गंभीर कोविड -19 मामलों में जोखिम के बीच संबंध का विश्लेषण किया. इस स्टडी को लेकर जरनल में प्रकाशित पेपर में रिसर्चर ने कहा कि, हमने यह पाया कि स्कॉटलैंड और ब्राजील दोनों में अस्पताल में भर्ती और मौतों को लेकर कोविड-19 के खिलाफ ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन की सुरक्षा कम हो गई है, वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के 3 महीने के अंदर यह स्पष्ट हो गया है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली हैं उन्हें बूस्टर डोज के तौर पर तीसरी खुराक लेने के बारे में सोचना चाहिए.

यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के प्रोफेसर श्रीनिवास कटीकिरेड्डी ने कहा कि इस स्टडी में स्कॉटलैंड में वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके 19,72,454 लोगों जबकि ब्राजील में वैक्सीन लेने वाले 4,25,58,839 लोगों को शामिल किया गया. यह स्टडी स्कॉटलैंड में 19 मई 2021 से शुरू की गई और 18 जनवरी 2021 से ब्राजील में शुरू की गई और 25 अक्टूर 2021 तक चली.

जिन देशों में वैक्सीन कवरेज का स्तर अधिक रहा, वहां भी संक्रमण की दर और कोविड-19 के गंभीर मामलों में बढ़ोतरी हुई. हालांकि नए वेरिएंट की वजह से ऐसा हो सकता है जिनमें विशेष रूप से, डेल्टा (B.1.617.2) और गामा शामिल है. यह भी संभव है कि समय के साथ टीके की प्रभावशीलता कम हो रही हो. वहीं नवंबर में सामने आए ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने कुछ नहीं कहा है.

कोविशील्ड वैक्सीन भारत में अधिक संख्या में इस्तेमाल की गई है. इसके अलावा इस वैक्सीन का उपयोग दुनिया के अन्य देशों में भी किया गया है. किफायती दर और भंडारण में आसानी की वजह से कोविशील्ड वैक्सीन का विशेषकर कम आय वाले देशों और मध्यम आय वाले देशों में ज्यादा इस्तेमाल किया गया.

 

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