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सुपर एंजाइम जो दिलाएगा प्लास्टिक कचरे से निजात

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Updated Mon, 7 Feb 2022 14:06 IST

सुपर एंजाइम जो दिलाएगा प्लास्टिक कचरे से निजात

बीते दिनों एक खबर छपी थी कि किस तरह डुगोंग नाम का विलुप्त होता समुद्री स्तनपायी जो अंडमान का राजकीय पशु भी है, और जिसे समुद्री गाय भी कहा जाता है. उसके पेट में प्लास्टिक पाया गया था. जिस वजह से उसकी मौत हो गई थी. आए दिन समुद्री जीवों के पेट से प्लास्टिक मिलने की खबरें सुनने को मिलती रहती है. तमाम बीच प्लास्टिक बोटल और दूसरी थैलियों से भरे पड़े रहते हैं. इसी तरह गंगा से लेकर समुद्र तक मछली पकड़ने वाले प्लास्टिक के जाल भी पानी में भी डाल दिए जाते हैं. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत महासागर में जो 79,000 टन प्लास्टिक कचरा पड़ा हुआ है, उसका विस्तार फ्रांस से भी दोगुना है. ऐसा नहीं है कि प्लास्टिक पर लगाम लगाने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, दुनिया भर के वैज्ञानिक अपनी अपनी तरह से इस प्लास्टिक को खत्म करने या रिसाइकिल करने के तरीके खोजने में लगा हुआ है. इसी कड़ी में वैज्ञानिकों को कुछ ऐसे सूक्ष्मजीव मिले हैं जिन्होंनें इस प्लास्टिक को खा कर उसके आण्विक घटक को तोड़ने में सक्षमता हासिल कर ली है, सरल भाषा में यह वह सूक्ष्मजीव हैं जो इस प्लास्टिक को आसानी से पचा सकते हैं. और इनके साथ हम हरित अर्थव्यवस्था की कल्पना कर सकते हैं.

प्लास्टिक की समस्या कितनी बड़ी

गार्डियन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, साल 2020 में मिले डाटा के अनुसार वैश्विक स्तर पर 367 मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया था. हालांकि 2019 के मुकाबले उत्पादन में हल्की गिरावट देखने को मिली थी लेकिन उसकी वजह कोविड-19 महामारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक 1950 से हर साल प्लास्टिक उत्पादन में बढोतरी होती गई है. एक अनुमान के मुताबिक हम अभी तक 8.3 बिलियन टन प्लास्टिक बना चुके हैं. खास बात यह है कि हमने इस प्लास्टिक को अपनी नजर से हटाने के लिए इसे समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया है. इसी वजह से हर साल समुद्र में 10 मिलियन टन प्लास्टिक फेंका जा रहा है. और प्लास्टिक के साथ सिर्फ खत्म नहीं होने का खतरा नहीं है बल्कि इससे पानी की गुणवत्ता और उसमें रहने वाले जीवों की जिंदगी पर भी असर पड़ता है. अब सवाल आता है कि क्या प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया जाना चाहिए, जबकि हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक बहुत काम की वस्तु है और ग्लास के मुकाबले इसका इस्तेमाल ज्यादा आसान होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि इसका प्रबंधन कैसे किया जाए, और इसका जवाब है सूक्ष्म जीव.

प्लास्टिक खाने वाला सूक्ष्मजीव

2016 में जापान के क्योटो इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सूक्ष्मजीव विज्ञानी कोहेई ओडा ने अपने साथी शोधार्थियों के साथ एक अनोखी खोज की. उन्होंनें पाया कि पॉलीइथाइलीन टेरीप्थेलेट (पीईटी) जो एक शुद्ध प्लास्टिक होता है और बोतल के साथ कई चीजों को बनानें में काम आता है, उसे जहां पर फेंका जाता था, वहां पर इस प्लास्टिक पर एक सूक्ष्मजीव पनप गया है, जब वैज्ञानिकों ने इसका सैंपल लिया तो पाया कि यह सूक्ष्मजीव ना सिर्फ इस प्लास्टिक पर पनप रहा था बल्कि वह प्लास्टिक से खुद को जीवित रखने के लिए पोषक तत्व भी ले रहा था. इस सूक्ष्मजीव का नाम है इडियोनेला सेकाइनसिस’

इस सूक्ष्म जीव में एक एन्जाइम पाया जाता है. एन्जाइम एक जटिल अणु होता है जो रासायिनक प्रक्रिया को तेज कर देता है. मसलन हमारे पाचन तंत्र में पाया जाने वाला एन्जाइम एमाइलेज खाने में पाई जाने वाले जटिल रसायन को तोड़ कर पचने में आसान बना देता है. इसी तरह इडियोनेला सेकाइनसिस’ दो अनूठे एन्जाइम का उत्पादन करता है. इसमें पहला है PETase है जो लबें पीईटी अणुओं को को छोटे अणुओं में बदल देता है. दूसरा एन्जाइम जो MHETase कहलाता है जो इथाइलीन ग्लाइकोल और टेरेप्थेलिक एसिड पैदा करता है. यह दो रसायन जो पीईटी को बनाते हैं, तो इडियोनेला सेकाइनेसिस इस प्लास्टिक के निर्माण की प्रक्रिया को उलट देता है और वह पच जाता है.

ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई प्लास्टिक खाने वाला सूक्ष्मजीव मिला हो, इससे पहले 1990 की शुरूआत में एक सूक्ष्मजीव मिला था जो प्लास्टिक को पचा सकता था.लेकिन बाद में शोध इस नतीजे पर पहुंची की यह सूक्ष्मजीव कठोर प्लास्टिक पचाने में ही सक्षम थे. पीईटी प्लास्टिक को पचाने वाले सूक्ष्मजीवों पर खोज करने वाले वैज्ञानिकों में जर्मनी के वोल्फगैंग जिम्मरमेन का नाम सबसे पहले आता है, जिन्होंनें इसके लिए थर्मोबिफिदा सेल्यूलोजिविटिका की खोज की थी. 2010 के मध्य तक कुछ प्लास्टिक को खत्म करने वाले सूक्ष्मजीवों की जानकारी हासिल हो गई थी. जिनमें प्लास्टिक के अणुओं को तोड़ने की क्षमता पाई गई थी.

ऐसे में इडियोनेला सेकाइनसिस पर इतनी बात क्यों

दरअसल बाकी तमाम सूक्ष्मजीवों से इतर यह सूक्ष्मजीव अपना भोजन और पूरी ऊर्जा ही प्लास्टिक हासिल करता है. यही वह बात है जिसने वैज्ञानिकों को हैरान किया है और इस सूक्ष्मजीव को हरित व्यवस्था के लिए इतना महत्वपूर्ण बना दिया है. ऐसे में वैज्ञानिकों को लग रहा है कि यह एक ऐसा सूक्ष्मजीव है जिसका पेट भरने के लिए कभी खाने की कमी नहीं पड़ने वाली है. साथ ही इससे पहले जो सूक्ष्मजीव पाए गए थे वह प्लास्टिक पर विकसित नहीं हुए थे इस वजह से उनकी प्लास्टिक को खत्म करने की प्रक्रिया के कुछ दुष्परिणाम भी थे. वहीं इडियोनेला सेकाइनेसिस इस मामले में अलग है.

खास बात यह है कि इस सूक्ष्मजीव के एन्जाइम का इस्तेमाल करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर औद्योगिक स्तर पर प्लास्टिक को खत्म करने का काम किया जा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सूक्ष्मजीव में पाए जाने वाले दोनों एन्जाइम जब साथ में काम करते हैं तो प्लास्टिक को खत्म करने की प्रक्रिया 6 गुना तेज हो जाती है. कुल मिलाकर यह बैक्टीरिया प्लास्टिक के इस्तेमाल और उसके तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.

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