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आजीवन कैद की सजा काट रही सोनिया को मिली नई पहचान, जानिए बदलाव की पूरी कहानी

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Updated Sun, 2 Jan 2022 17:03 IST

आजीवन कैद की सजा काट रही सोनिया को मिली नई पहचान, जानिए बदलाव की पूरी कहानी

नई दिल्ली. 40 साल की सोनिया चौधरी नए साल में उस खुशी को बटोर नहीं पा रही जो उसे एक अरसे बाद मिली है. करीब 21 साल जेल मे गुजार चुकी सोनिया अपने इकलौते बेटे से बात करने के लिए तरस गई थी. बेटे ने 2 साल से ज्यादा समय से ना माँ से बात की, ना कोई संपर्क रखा. लेकिन आज अचानक बेटा जेल मे आया और उसने माँ से माफी मांगी. माँ के गले लगा. वो क्षण भावों से भरा ऐसे था कि जेल प्रशासन भी अपने आंसू रोक नही पाया. बदलाव की यह कहानी जेल के रेडियो से शुरू होती है. 2001 मे जेल मे आई सोनिया को फांसी की सजा सुनाई गई थी.

सजा के दौरान हरियाणा की अलग-अलग जेलों मे उसका तबादला होता रहा. वह काफी समय तक जेल की तनहाई मे भी रही, लेकिन एक दिन उसने अपनी पहचान को बदलने की ठानी. जिला जेल, करनाल में 2020 में एक दिन उसने तिनका जेल रेडियो की शुरुआत की बात सुनी और फिर उसने बाकी बंदियों के साथ ऑडिशन दिया. इस जेल से जिन 10 बंदियों का जेल रेडियो के जॉकी के तौर पर चयन हुआ, उनमें सोनिया भी थी.

सोनिया को मिला तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड

2021 मे तिनका तिनका प्रिजन रिसर्च सेल की स्थापना हुई. इसका उद्घाटन तब के जेल महानिदेशक के. सेल्वराज (आइपीएस) ने किया. हरियाणा की जेलों से जिन दो महिलाओं को इस सेल से जोड़ा गया, उनमें सोनिया भी थी. दिसंबर 2021 में जेल रेडियो में सोनिया को उसके योगदान के लिए उसे तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड दिया गया. यह अवॉर्ड 2021 मे भारत भर मे से केवल 2 महिलाओं को दिया गया है. मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर 9 दिसंबर को यह अवॉर्ड केंद्रीय जेल भोपाल में जेल महानिदेशक आईपीएस अरविंद कुमार और गुजरात के जेल महानिदेशक डॉ. केएलएन राव (आइपीएस) ने रिलीज किए थे.

सोनिया के बेटे को हुआ उसकी गलती का अहसास

सोनिया का बेटा, इन समाचारों को जानने लगा था. कुछ सूचनाएं उसे जेल विभाग से मिली और कुछ एक सूचनाएं मीडिया के जरिये. जो बेटा अपनी माँ से बात नही करना चाहता था, उस बेटे ने जेल मे आकर यह माना कि यह उसकी गलती थी. बेटे को यह भी महसूस हुआ कि उसकी माँ जेल मे अब एक नई जिन्दगी की शुरुआत कर चुकी है. इसलिए अब उसे अपना मां के साथ संबंधों को फिर से नई दिशा देनी चाहिए. 23 साल का उसका बेटा मुलाकात करने खास तौर पर जेल में आया और मां के आंचल में रो पड़ा. इस मौके पर मां-बेटे का भावुक मिलन कई बंदियों ने देखा.

सोनिया के मुताबिक, जेल का रेडियो उसकी जिन्दगी मे खुशियों का पिटारा लेकर आया है. रेडियो मे आने वाली उसकी आवाज को उसका बेटा तिनका तिनका के यूट्यूब चैनल पर अक्सर सुनता है. उसका कहना है कि उसकी आवाज और काम ने उसके बेटे के मन मे उसकी एक नई छवि को गढ़ा है.

‘कोरोना के दौर में जेल का रेडियो मानसिक खुराक बना’
जेल के अधीक्षक अमित भादू और डीएसपी शैलाक्षी भारद्वाज के मुताबिक, “हम अपनी आँखों से देख पा रहे हैं कि जेल के रेडियो में क्या जादू है. जेल के सभी 10 बन्दी जो जेल रेडियो के साथ जॉकी के तौर पर जुड़े, उन सब की जिन्दगी मे कई ऐसे बदलाव आये हैं जो बेहद सकारात्मक हैं. हर किसी की जिंदगी पहले से बेहतर हुई है. जेल का माहौल पूरी तरह से बदल गया है. कोरोना के दौर में जेल का रेडियो मानसिक खुराक बना है.”

‘तिनका तिनका का मकसद जेलों मे इंद्रधनुष बनाने की कोशिश करना’

तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा के मुताबिक, “तिनका तिनका का मकसद जेलों मे इंद्रधनुष बनाने की कोशिश करना है. हमें ख़ुशी है कि जेल रेडियो ने अब जिंदगियों को गहराई तक जाकर प्रभावित करना शुरु कर दिया है. इससे बंदियों के संचार की जरूरतें पूरी हो रही हैं और उनके परिवार भी उन्हें तवज्जो देने लगे हैं.” हरियाणा की जेलों मे 2020 मे जेल रेडियो की शुरुआत हुई थी. इन जेलों में रेडियो लाने का काम तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख वर्तिका नन्दा ने किया है.

तिनका तिनका को दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिली है. इसे 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी संज्ञान में लिया था. हरियाणा की 19 में से जेलों मे रेडियो लाया जा चुका है. करीब 50 बन्दियों को प्रशिक्षित किया गया है. आने वाले दिनों मे कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, जींद और सोनीपत मे भी जेल रेडियो लाये जाने की तैयारी है.

 

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