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यूक्रेन पर रूस की ताकत से गंभीर हो सकता है यूरोप में ऊर्जा संकट, विस्तार से जानिए ऐसा क्यों होगा

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Updated Wed, 9 Feb 2022 13:41 IST

यूक्रेन पर रूस की ताकत से गंभीर हो सकता है यूरोप में ऊर्जा संकट, विस्तार से जानिए ऐसा क्यों होगा

पूरी दुनिया के लिए यूक्रेन संकट चिंता का विषय है. यूक्रेन को लेकर कब रूस और अमेरिका के बीच मामला बिगड़ जाए, कोई नहीं कह सकता लेकिन अगर रूस यूरोप के खिलाफ कोई आक्रामक कदम उठाता है तो यह यूरोप में ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अच्छा नहीं होगा. अगर अमेरिका यूक्रेन संकट पर कुछ कदम उठाता है बदले में रूस सबसे पहले इसके जवाब में अपने प्राकृतिक गैस के निर्यात को बंद कर सकता है. इससे यूरोप में ऊर्जा संकट गहरा जाएगा. दरअसल, यूरोप ऊर्जा के मामले में रूस पर निर्भर है. यूरोप अपनी गैस की जरूरतों का एक तिहाई हिस्सा रूस से ही मंगाता है.

यूरोप में गैस का भंडार बहुत कम बचा है. ऐसे में उसकी निर्भरता रूस पर ज्यादा है. हालांकि अमेरिका उसे गैस की सप्लाई का आश्वासन देता है लेकिन इससे कीमत ज्यादा बढ़ जाएगी. वैसे अमेरिका में भी गैस के उत्पादन की क्षमता सीमित है. इसलिए पहले से ही ऊर्जा संकट से जूझ रहे यूरोप के लिए यह एक भारी तनाव की बात हो सकती है. वैसे ही वहां ऊर्जा के दामों में आग लगी हुई है जिसने पूरे महाद्वीप को मुश्किल में डाल रखा है.

क्या रूस ऐसा कर सकता है?

फिलहाल इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ऐसा करने से दोनों पक्षों को नुकसान होगा. रूस ने आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई संकेत भी नहीं दिया है. क्योंकि रूस आर्थिक मामले में ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भर करता है. वहीं यूरोप को ऊर्जा की जरूरत है और वह राजस्व के मामले में रूस का एक मुख्य स्रोत है. ऐसे में पश्चिमी प्रतिबंध से रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर प्रत्य़क्ष असर की संभावना कम लगती है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि रूस उस गैस पाइपलाइन को रोक देगा जो यूक्रेन को पार करके जाती है. पिछले साल रूस ने यूरोप को 175 अरब क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति की थी. इनमें से एक चौथाई इसी पाइपलाइन से गई थी. अमेरिका अधिकारियों का मानना है कि रूस अगर यूक्रेन पर हल्का फुल्का हमला भी करता है तो इसका परिणाम यह होगा कि वह यूक्रेन के रास्ते जर्मनी जाने वाली गैस की आपूर्ति बाधित हो जाएगी. ऐसे में रूस गैस के नुकसान की भरपाई के लिए एक नया प्रस्ताव दे सकता है. अगर जर्मनी अनुमति देगा तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का इस्तेमाल होगा, लेकिन उसके संचालकों को अमेरिका के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं जर्मनी के अधिकारियों का इस मामले पर कहना है कि अगर गैस से जुड़ा कोई प्रतिबंध होता भी है तो उसे आपस में सुलझाया जाएगा. ऐसे में गैस की आपूर्ति में रुकावट के आसार कम ही लग रहे हैं. और अगर रूस पाइपलाइन को दूर ले भी जाता है तो उसे इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

अगर रूस गैस आपूर्ति बंद करता है तो क्या होगा
अगर आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी जाती है तो रातों रात निर्यात टर्मिनल बनाना संभव नहीं है और इसके निर्माण में अरबों डॉलर की लागत लगेगी. रूसी प्रतिबंध के बाद अगर अमेरिका अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेगा तो भी वह रूस की आपूर्ति की दो तिहाई आपूर्ति ही कर पाएगा. अगर रूस यूक्रेन वाली पाइपलाइन को बंद कर देता है तो इस तरह समझिए कि इसकी भरपाई के लिए प्रतिदिन जो गैस दूसरे देशों से ली जाएगी वह 1.27 शिपलोड के बराबर होगी.

यूरोप में गैस के दाम अधिक
रूस यूरोप को गैस आपूर्ति किए जाने के अपने दीर्घकालीन करार को पूरा तो कर रहा है, लेकिन वह मौजूदा बाजार कीमत से कम बिक रहा है. इसलिए रूस ने स्पॉट गैस आपूर्ति को कम किया जिससे यूरोप में प्राकृतिक गैस के दाम आसमान छूने लगे. यह बढ़कर 190 डॉलर प्रति मेगावाट घंटे तक चले गए थे. जो 2021 की शुरुआत में अपने दाम से 8 गुना तक बढ़ गई थी. जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को बिजली और गैस का ज्यादा बिल भुगतान करना पड़ रहा था. जिसकी भरपाई के लिए यूरोपियन सरकार सब्सिडी और कई तरह की टेक्स में छूट दे रही है जो सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहा है.

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