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सड़क परिवहन मंत्रालय का बड़ा फैसला, पुलों की उम्र और सेहत को लेकर बनेगी नीति

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Updated Wed, 5 Jan 2022 15:31 IST

सड़क परिवहन मंत्रालय का बड़ा फैसला, पुलों की उम्र और सेहत को लेकर बनेगी नीति

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश के सभी पुलों की सेहत और उम्र पता करने के लिए नीति बनाने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया था. इसमें देश के सभी पुलों की जानकारी एकत्रित की गई है. उन्होंने यह जानकारी वैभव डांगे और नागपुर से संबंध रखने वाले सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक ‘बिल्डिंग ब्रिजेस-शेपिंग द प्यूचर’ का बुधवार को दिल्‍ली में लोकार्पण करते समय दी. गडकरी ने यह भी कहा कि समुद्र किनारे बनने वाले पुलों में स्टेनलेस स्टील के उपयोग को लेकर भी मंथन किया जा रहा है. इससे पुलों की ताकत और उम्र बढ़ने के साथ ही उन्हें अधिक सुरक्षित बनाने में भी मदद मिलेगी.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नागपुर में एक रेलवे पुल था. अंग्रेजों के जमाने में लंदन से यह संदेश आता था कि उसकी उम्र कितनी है. उसे कब मरम्मत की जरूरत है. इसके लिहाज से उसकी मरम्मत होती थी. लेकिन हमारे यहां पर ऐसा तंत्र नहीं है. इसकी वजह यह है कि कोई भी पहल करने या उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है.

उन्होंने कहा कि वैभव डांगे और सच्चिदानंद जोशी की किताब से पुलों को बेहतर बनाने के कई विकल्प सामने आएंगे. इससे यह पता चलेगा कि पुलों को किस तरह की देखरेख या तकनीक की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पुलों के स्पैन को जोड़ने में नई तकनीक को अपनाना होगा. हमारे यहां पर 30 मीटर का स्पैन होता है. मलेशिया में 45 मीटर का स्‍पैन होता है. इससे पुल की लागत में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आती है.

गडकरी ने कहा कि इसके अलावा शहरों में तीन या चार मंजिला रोड बनाने की जरूरत है. इसकी वजह है कि शहरों में भूमि अधिग्रहण मुश्किल होता है. नागपुर में दो मंजिला सड़क के ऊपर मेट्रो दौड़ाने का प्रोजेक्ट उन्होंने किया है. इसी तरह से पुणे में चार मंजिला सड़क प्रोजेक्ट की तैयारी है, लेकिन ऐसा करते हुए उनकी सेहत और उम्र को लेकर खास ध्यान देने की जरूरत होगी.

पुस्तक के लेखक वैभव डांगे ने कहा कि इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम में 1 लाख 27 हजार से अधिक ब्रिज और उनकी जानकारी है. उन्हें यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा उस समय मिली. जब एक व्यक्ति राजमार्ग मंत्री गडकरी के पास आया और उसने देश के सभी पुलों की क्षमता, उम्र, सेहत और सर्वे का शर्त आधारित प्रस्ताव पेश किया. इसके बाद उन्होंने यह भी देखा कि पुलों की देखरेख के लिए क्या तकनीक और उपकरण हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रेरणा से उन्होंने यह पुस्तक लिखकर यह बताया है कि कैसे उनके निर्देश पर देश के 1 लाख 27 हजार से अधिक पुलों को लेकर डाटा एकत्रित किया गया. उन्हें इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम में डाला गया. अमेरिका में भी इस तरह का ऑनलाइन डाटा पुलों को लेकर नहीं था. इससे यह लाभ होगा कि आने वाले समय में एक क्लिक पर यह पता चल सकता है कि किस पुल को कब मरम्मत की जरूरत है. किस पुल को नए सिरे से बनाने की जरूरत है. ऐसे कितने पुल हैं जो अपनी क्षमता से अधिक वाहन का बोझ सह रहे हैं. इनसे आम लोगों के जीवन को भी सुरक्षित करने में सफलता हासिल होगी.

 

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