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हड़ताल के बीच आई रिपोर्ट, बैंकों में इस तरीके अपनी हिस्सेदारी घटाएगी मोदी सरकार

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Updated Fri, 17 Dec 2021 16:54 IST

हड़ताल के बीच आई रिपोर्ट, बैंकों में इस तरीके अपनी हिस्सेदारी घटाएगी मोदी सरकार

पिछले 2 दिनों से सरकारी बैंक कर्मचारी निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं और उधर एक रिपोर्ट आई है कि भारत सरकार ऐसे बदलावों पर विचार कर रही है, जिससे कि सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम करना आसान हो जाए. कहा जा रहा है कि क्रेडिट फ्लो को खोलने के लिए यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना का हिस्सा है.

अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो यह सरकार को प्रबंधन पर अपनी पकड़ को कम किए बिना सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को 51 से 26 फीसदी तक धीरे-धीरे कम करने की अनुमति देगा.

कानून में संशोधन

बता दें कि सरकार द्वारा संचालित बैंकों की सरकारी पूंजी पर निर्भरता को कम करने की मांग लगातार उठ रही है. सरकार का यह कदम 1969 में भारत में लागू की गई बैंकों के राष्ट्रीयकरण की नीतियों के विपरीत बैंकों के निजीकरण को बढ़ावा देगा.

जानकारी के अनुसार शुरुआती बातचीत अभी जारी है और इसमें बदलाव किया जा सकता है. प्रस्तावों का अध्ययन और संसद के समक्ष रखे जाने से पहले कैबिनेट द्वारा मंजूरी देनी होगी. हालांकि इस प्रस्ताव के बारे में अभी तक कहीं से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

हालांकि बैंकों के निजीकरण पर सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि वर्तमान में ही कुछ बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक यूनियन हड़ताल पर हैं. सरकारी बैंकों के हजारों कर्मचारियों ने सरकार द्वारा बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रखी. भारत में ट्रेड यूनियनों का अभी भी दबदबा है. भले ही ये यूनियन अब दशकों पहले की तरह शक्तिशाली न हों.

एयर इंडिया के निजीकरण से खुश सरकार
हालांकि, सरकारी हिस्सेदारी कम करने की दिशा में सबसे बड़ा फैसला एयर इंडिया के निजीकरण के रूप में हमारे सामने है. देश की प्रमुख बीमाकर्ता एलआईसी को सूचीबद्ध करने की तैयारियां चल रही हैं. एलआईसी की तुलना सऊदी अरामको आईपीओ के साथ की जा रही है.

मोदी सरकार का तर्क है कि इस फैसले से सरकारी बैंकों के लिए निवेशकों की स्थित में सुधार होगा.

 

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