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लठामार होली: नंदगांव की हुरियारिनों ने बरसाने की हुरियारों पर बरसाईं लाठियां

राज्य

Updated Thu, 25 Mar 2021 6:13 IST

लठामार होली: नंदगांव की हुरियारिनों ने बरसाने की हुरियारों पर बरसाईं लाठियां

बरसाने के लठामार होली के बाद बुधवार को बाबा नंद की नगरी नन्दगांव में लठामार होली की धूम मची। लाठियों की तड़तड़ाहट से यहां गली-मोहल्ले गुंजाएमान हो उठे। कल खेल आयौ बरसाने आज होय तेरे द्वारे, लाला तैने कैसौ फाग मचायौ... जैसे पदों पर यहां होली की जमकर धूम मची। अबीर-गुलाल के बेशुमार वर्षा से श्रद्धालु समूह सराबोर हो उठा। यहां बरसाने के हुरियारों की नंदगांव की हुरियारिनों ने जमकर खबर ली।

बरसाने की लठामार होली की प्रतिरूप माने जाने वाली नंदगांव की लठामार होली को देखने के लिए बुधवार को प्रात: से यहां श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। देश-विदेश के श्रद्धालु अबीर-गुलाल में सराबोर होकर यहां पहुंच रहे थे। नंदबाबा मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु रंगीली गली-रंगीली चौक आदि स्थानों पर जम गए। सायं करीब साढ़े चार बजे बरसाने के हुरियारे नंदबाबा मंदिर से उतर कर रंगीली गली में पहुंचे। यहां नंदगांव की हुरियारिनें (ब्राह्मण परिवार की सुहागिन महिलाएं) उनके आने का पहले से ही इंतजार कर रहीं थीं। सोलह श्रंगार में सजी हुरियारिनें कहां छिपाय रखौ माय यशोदा ने, दरशन दै निकस अटा से, होरी खेलूंगी श्याम संग आज आदि पदों की नृत्य शुरु किया तो हुरियारे भी थिरकने लगे। हुरियारे रंगली गली में होरी खेलने के लिए हुरियारिनों को आमंत्रित करते हैं। गायन के माध्यम से एक दूसरे से हंसी-ठिठोली का सिलसिला चलता रहता है। इसी मध्य हुरियारिनें हुरियारों पर लठ्ठों से प्रहार करने लग जाती हैं। नन्द के ग्वालों पर तड़ातड़ लाठियां बरसानी शुरू कर देती हैं। लाठियों की तड़तड़ाहट और लाडली लाल के जयकारे से रंगीली गली गूंजने लगी। बरसाने के हुरियारों को  नन्दगांव की हुरियारिनें घुटनों के बल बैठा लेती है। हुरियारे लठ्ठों की मार से बचने के लिये अपने सिर पर ढाल रख लेते हैं। गोपियां मिल-जुल कर बरसाने के हुरियारों की सारी हेकड़ी निकालने के लिये लाठियां बरसा रहीं हैं। एक-एक हुरियारे पर तीन-तीन,चार-चार हुरियारिनें  लाठियां बरसाने लग जाती हैं।

लठामार होली से पूर्व बरसाने के हुरियारे अपने सिरों पर रंग-बिरंगी पकड़ी बांधे हाथों में ढाल, पिचकारी और कमर में गुलाल की फेंट बांधे नंदमहल पहुंचे। वे गलियों में होरी के पदों पर नाचते गाते रंग-गुलाल उड़ाते हुए आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में नन्दगांव वाले भी कहां पीछे हटने वाले थे। उन्होंने हुरियारों को रंग से सराबोर करना शुरू कर दिया। रही-सही कसर नंद के आंगन में अबीर गुलाल के साथ रंग की होली से पूरी की गई। इसके साथ ही नंद महल में दोनों ओर से पिचकारी चलने लगीं। दोनों ही समूह एक दूसरे को गारी दै-दै कै होरी खेलने को उकसाते रहे।

 

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