लठामार होली से पूर्व बरसाने के हुरियारे अपने सिरों पर रंग-बिरंगी पकड़ी बांधे हाथों में ढाल, पिचकारी और कमर में गुलाल की फेंट बांधे नंदमहल पहुंचे। वे गलियों में होरी के पदों पर नाचते गाते रंग-गुलाल उड़ाते हुए आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में नन्दगांव वाले भी कहां पीछे हटने वाले थे। उन्होंने हुरियारों को रंग से सराबोर करना शुरू कर दिया। रही-सही कसर नंद के आंगन में अबीर गुलाल के साथ रंग की होली से पूरी की गई। इसके साथ ही नंद महल में दोनों ओर से पिचकारी चलने लगीं। दोनों ही समूह एक दूसरे को गारी दै-दै कै होरी खेलने को उकसाते रहे।
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16 Dec, 2025









