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Updated Tue, 4 Jan 2022 20:39 IST
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने ट्विन टावर बनाने का फैसला किया है. इस टावर को बनाने में 1910 करोड़ रुपये की लागत आएगी. दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस बिल्डिंग को बनाने के लिए खाका तैयार कर लिया है. यह ट्विन टावर दिल्ली के दिल कहने जाने वाले कनॉट प्लेस से सटे इनकम टैक्स चौराहे यानी आईटीओ (ITO) पर बनाया जाएगा. यह ट्विन टावर 30 से 35 मंजिल का होगा. टावर के बनने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य सभी मंत्रियों के विभागों के सचिवों का कार्यालय होगा.
दिल्ली सरकार की योजना के मुताबिक आईटीओ पर स्थित विकास भवन-1, एमएसओ भवन (पीडब्ल्यूडी मुख्यालय) और जीएसटी भवन के मौजूदा ढांचे को ध्वस्त किया जाएगा. इन तीनों इमारतों के भूखंडों पर 30 से 35 मंजिला नई इमारत का निर्माण किया जाएगा. यहां पर पहले से मौजूद तीन भवनों का कुल भूखंड क्षेत्रफल 53,603 वर्ग मीटर है.
एक टावर विकास भवन-1 में और दूसरा टावर एमएसओ और जीएसटी बिल्डिंग में बनाने की योजना है. दिल्ली सरकार के द्वारा इसके लिए निविदाएं भी मंगाई गई हैं. कंसलटेंसी कंपनी मास्टर प्लान 2021 के अनुसार काम करेंगे. निविदाएं भाग लेने वाली कंपनी एक विस्तृत डिजाइन रिपोर्ट और नए कार्यालय परिसर के निर्माण की योजना भी तैयार करेंगे.
गौरतलब है कि इस नए भवन में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पांच मंत्रियों के अलावा भवन में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवों, सचिवों और उनके सहायक कर्मचारियों और दिल्ली सरकार के अन्य कार्यालयों के लिए कार्यालय स्थान भी होगा.
नया भवन हरित भवन होगा जिसमें पार्किंग की सुविधा के साथ-साथ प्रत्येक कार्यालय के साथ संगोष्ठी कक्ष/सम्मेलन कक्ष भी होगा. सभागार की क्षमता 2000, 1000 एवं 500 व्यक्तियों की होगी. टावर पूरी तरह से वाईफाई से लैस होगी. सीसीटीवी एक्सेस कंट्रोल सिस्टम, सब-स्टेशन, सौर ऊर्जा, गृह फाइव स्टार रेटिंग, लिफ्ट, एस्केलेटर, सेंट्रलाइज्ड एयर कंडीशनिंग सिस्टम और पुस्तकालय, क्रेच, सामुदायिक हॉल के लिए सुविधाओं सहित अन्य सभी तरह की सुविधा होगी. कैंटीन, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट छोटा बाजार, जिम सुविधाएं आदि भी बिल्डिंग में होंगी.
इस टावर को प्लेयर्स बिल्डिंग के नाम से जाना जाएगा. 1982 के एशियाई खेलों के लिए खिलाड़ियों को ठहरने के लिए एक होटल के रूप में बनाया गया था, लेकिन समय पर तैयार नहीं हो सका. बता दें कि शीला दीक्षित जब मुख्यमंत्री बनीं थीं उनके कार्यकाल की शुरुआत में सचिवालय को सिविल लाइंस से प्लेयर बिल्डिंग में स्थानांतरित कर दिया गया था.