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जस्टिस फॉर सब इंस्पेक्टर  शैलेंद्र सिंह

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Updated Thu, 26 May 2022 16:03 IST

जस्टिस फॉर सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सब-इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह लगभग विगत तीन साल से जेल में निरुद्ध हैं।

               शैलेन्द्र सिंह का नाम तब चर्चा में आया जब उन पर आरोप लगा कि उन्होंने इलाहाबाद जिला अदालत में हमलावर वकील नबी अहमद को आत्मरक्षा में गोली मार दी थी। ये वो समय था जब न सिर्फ इलाहाबाद के बल्कि देश भर के वकील सड़कों पर आ गए थे। दिल्ली, बंगलौर तक एक स्वर में शैलेन्द्र सिंह को फांसी के लिए फांसी की मांग हुई। कई वकीलों ने शैलेन्द्र सिंह का केस  न लड़ने तक का फरमान सुना दिया था।

               दहशत कुछ यूं बन गई थी कि खुद शैलेन्द्र सिंह की रिश्तेदारी में पड़ने वाले वकीलों ने भी नबी के समर्थन वाली लॉबी  के आगे घुटने टेक दिए। उन्होंने केस  लड़ने से मना कर दिया था। यहां ये जानना जरूरी है कि इस देश में वकील अजमल कसाब को भी मिले। आतंकी और निर्दोषों के कातिल याकूब के लिए तो रात दो बजे कोर्ट  भी खुलवाए जा चुके हैं।

               यद्यपि इस घटना का वीडियो  सामने आया है जिसमे साफ़ साफ शैलेन्द्र सिंह को कई वकीलों से अकेले जूझते देखा जा सकता है. उस वीडियो  में नबी अहमद की आवाज साफ़ और तेज सुनाई दे रही थी।

               शैलेन्द्र सिंह के परिवार के अनुसार किसी मुकदमे में नबी अहमद के मनमाफिक रिपोर्ट  न लगाने के चलते उसने शैलेन्द्र सिंह को कचहरी बुलाने का पूरा ताना बना बुना। जैसे ही शैलेन्द्र सिंह कचहरी पहुंचे उन पर हमला बोल दिया गया जिसके बाद ये दुर्घटना घटी।

               यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी जो घोरतम तुष्टिकरण के चलते अक्सर चर्चा में रहती थी। शैलेन्द्र सिंह को आननफानन गिरफ्तार कर लिया गया। मृतक नबी अहमद के परिवार को तत्काल अखिलेश सरकार ने सहायता राशि उपलब्ध करवाई।

               शैलेन्द्र सिंह बार बार कहता रहा कि वो राष्ट्रभक्त है और उसकी ही जान को खतरा था, पर उसकी एक नहीं सुनी गई। हालात ये हो गए कि उसे न पाकर उसके बदले नबी अहमद के कुछ बहुत ख़ास लोगों ने सिपाही नागर को गोली मारी जिसका विरोध कई राष्ट्रवादी वकीलों ने खुद किया और इस हिंसा को गलत ठहराया।

               फिर परिस्थितियां इतनी विषम हो गईं कि शैलेन्द्र सिंह को इलाहाबाद जेल में भी रखना उनकी जान के लिए खतरा माना जाने लगा। मृतक नबी अहमद दुर्दांत अपराधी अशरफ का बेहद ख़ास था। शैलेन्द्र सिंह को उनकी जान के खतरे को देखते हुए इलाहाबाद से दूर रायबरेली जेल में रखा गया। उनका साथ देने जो भी सामने आया उसको अदालत परिसर में बेइज्ज़त किया गया। जिसमें आईजी  अमिताभ ठाकुर की धर्मपत्नी डॉ  नूतन ठाकुर तक शामिल हैं।

               शैलेन्द्र सिंह के परिवार का कहना है कि यदि उनके पक्ष को विधिपूर्वक, न्यायपूर्वक और निष्पक्षता से सुना जाए तो निश्चित तौर पर शैलेन्द्र सिंह मुक्त करने योग्य पाए जाएंगे। सब इंस्पेक्टर  शैलेन्द्र सिंह के परिवार के हालात देखें तो वह अब बेहद दयनीय हालात में पहुंच गए हैं। उनकी दो बेटियां कभी पिता से मिलने जब जेल तक जाती हैं तो वो पुलिस अधिकारी चाहकर भी इसलिए नहीं रो पाता क्योंकि उसको पता है कि उसके बाद उसकी बेटियां टूट जाएंगी। तब उन्हें बाहर कोई चुप कराने वाला भी नहीं है। एक बेटी तो ठीक से जानती भी नहीं कि पिता का प्रेम क्या होता है क्योंकि जब वो महज तीन माह की थी तब से ही उनका पिता जेल में है।

               ख़ासकर तथाकथित अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस विभाग के हाथ पैर बांधकर रखने वाली पिछली अखिलेश सरकार में हुई इस घटना के समय सब इंस्पेक्टर  शैलेन्द्र सिंह इलाहाबाद के शंकरगढ़ थाने के नारीबारी चौकी प्रभारी थे। शैलेन्द्र सिंह के माता पिता की मृत्य हो चुकी है। उनका एक भाई विक्षिप्त हो गया है। इस प्रकार कभी जिले के सबसे जांबाज़ और तेज तर्रार पुलिस सब इंस्पेक्टर्स  में से गिना जाने वाले शैलेन्द्र सिंह का पूरा परिवार अब बेहद डांवाडोल हालात में है।

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