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भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान रेलवे के माध्यम से कोयले की आपूर्ति में 11.1 करोड़ टन की बढ़ोतरी की

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Updated Sun, 24 Apr 2022 1:39 IST

भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान रेलवे के माध्यम से कोयले की आपूर्ति में 11.1 करोड़ टन की बढ़ोतरी की


भारतीय रेल सभी बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की मुख्य आपूर्तिकर्ता है और वर्ष 2021-22 और वर्तमान अप्रैल महीने में बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई अहम उपाय किए गए हैं।

 

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारतीय रेल ने रेलवे के माध्यम से कोयले की ढुलाई रिकॉर्ड 11.1 करोड़ टन बढ़ा दी और इस साल कुल 65.3 करोड़ टन कोयले का लदान किया, जो पिछले साल के 54.2 करोड़ टन की तुलना में 20.4 प्रतिशत ज्यादा है।

इसके अलावा सितंबर, 21 से मार्च, 22 तक सिर्फ दो तिमाहियों के दौरान बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की आपूर्ति में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।

 

अप्रैल, 2022 में, भारतीय रेल ने बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के लदान को प्राथमिकता देते हुए कई कदम उठाए, जिससे सिर्फ एक सप्ताह के भीतर कोयले की आपूर्ति 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई।

 

भारतीय रेल द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के चलते ही यह सुधार संभव हुआ है, जो निम्नलिखित हैं:

 

कोयले से भरी ट्रेनों की आवाजाही को प्राथमिकता दी गई और लदान से परिवहन और आखिर में उतार तक पूरे चक्र के दौरान हर ट्रेन की गहन निगरानी की गई।

 

प्राथमिकता और निगरानी के माध्यम से अहम बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ट्रेनों का पारगमन समय 12-36 प्रतिशत तक घट गया है।

 

भारतीय रेल ने ज्यादा दूरी पर स्थिति बिजली संयंत्रों को आपूर्ति को प्राथमिकता दी है, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि 1 से 10 अप्रैल तक की औसत लीड की तुलना में पिछले 5 दिनों में कोयला ट्रेनों की औसत लीड में 7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है।

 

कोयला ट्रेनों की औसत लीड में बढ़ोतरी के बावजूद इन भंडारों के लिए एक ही रैक की दो लगातार लोडिंग में लगने वाला समय 10 प्रतिशत तक घट गया है।

संचालन से जुड़े इन नवाचारों के साथ भारतीय रेल ने बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ट्रेनों की आपूर्ति में बढ़ोतरी की है, साथ ही टिकाऊ आधार पर ज्यादा कोयला रैकों का लदान किया है।

भारतीय रेल पूरी तरह तैयार है और उसने बिजली संयंत्रों को उच्च स्तर के कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित रखने के लिए सभी संसाधनों को लगा दिया है और वह कोयला कंपनियों द्वारा साइडिंग्स/ गुड शेड्स तक लाए गए घरेलू कोयले और बंदरगाहों तक लाए गए आयातित कोयले के उठान के लिए प्रतिबद्ध है।

 

 

 

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