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आईपीओ से जुटाई रकम के इस्तेमाल पर SEBI का अहम फैसला, जानें क्या हैं नए नियम

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Updated Wed, 29 Dec 2021 16:54 IST

आईपीओ से जुटाई रकम के इस्तेमाल पर SEBI का अहम फैसला, जानें क्या हैं नए नियम

लगातार कई कंपनियां अपना IPO लेकर आ रही हैं, ऐसे में SEBI ने आईपीओ से जुटाई गई राशि के इस्तेमाल से जुड़े नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आईपीओ से जुटाई गई राशि के इस्तेमाल से संबंधित नियमों को सख्त करने के लिए यह बदलाव किया है. इसके तहत, आईपीओ लाने वाली कंपनियों को बाजार से जुटाए जा रहे रकम के जरिए किए जाने वाले अधिग्रहण का खुलासा करना होगा. सेबी ने आईपीओ से प्राप्त राशि का इस्तेमाल भविष्य में किसी अधिग्रहण ‘लक्ष्य’ के लिए करने की सीमा तय की है. इसके अलावा, सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए आरक्षित कोष की भी निगरानी की जाएगी. मंगलवार को हुई सेबी बोर्ड की बैठक में ये फैसले लिए गए.

किए गए हैं ये अहम बदलाव

  • बोर्ड की बैठक के बाद जारी बयान में सेबी ने कहा कि आईपीओ में शेयरहोल्डर्स द्वारा ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत शेयरों की बिक्री के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. इसके अलावा एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन पीरियड को भी बढ़ाकर 90 दिन करने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही सेबी ने नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए आवंटन के तौर-तरीकों में भी बदलाव का फैसला किया है.
  • सेबी के चेयरपर्सन अजय त्यागी ने कहा कि नियामक का इरादा किसी भी तरीके से आईपीओ प्राइस को कंट्रोल करना नहीं है. उन्होंने बोर्ड की बैठक के बाद मीडिया के साथ बातचीत में कहा, ‘‘प्राइस डिस्कवरी बाजार का काम है. वैश्विक स्तर पर यह इसी तरह से होता है.’’
  • सेबी के निदेशक मंडल ने कहा है कि आईपीओ के ज़रिए मिलने वाले फंड का 35 प्रतिशत ही ऐसे अधिग्रहण और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा जिसमें अधिग्रहण या स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट के लक्ष्य की अभी ‘पहचान’ नहीं हुई है. हालांकि, ऐसे अधिग्रहण जिसमें लक्ष्य की पहचान हो चुकी है और आईपीओ दस्तावेज दाखिल करते समय उसके बारे में खुलासा किया गया है, के मामले में यह शर्त लागू नहीं होगी.
  • सेबी ने कहा कि यह देखने में आया है कि कई नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियां ऐसे उद्देश्यों के लिए फंड जुटाने का प्रस्ताव करती हैं, जो इस तरह के विस्तार की पहल से संबंधित होता है. नियामक ने कहा कि इसके अलावा सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए जुटाई गई राशि को निगरानी के तहत लाया जाएगा और इसके इस्तेमाल का खुलासा निगरानी एजेंसी की रिपोर्ट में किया जाएगा.
  • इस रिपोर्ट को वार्षिक के बजाय अब तिमाही आधार पर विचार के लिए ऑडिट कमेटी के सामने रखा जाएगा. इसके अलावा, सेबी के साथ रजिस्टर्ड क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) को शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों और पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के बजाय रकम के इस्तेमाल की मॉनिटरिंग एजेंसी के रूप में काम करने की अनुमति होगी.
  • सेबी ने कहा है कि आईपीओ फंड की मॉनिटरिंग तब तक जारी रहेगी जब तक 95 फीसदी के बजाए 100 फीसदी रकम का इस्तेमाल नहीं कर लिया जाता है.
  • सेबी ने आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के जरिए कंपनियों के मौजूदा शेयरधारकों के शेयर बेचने पर भी लिमिट लगाया है. इसके तहत जिन शेयरहोल्डर्स की किसी कंपनी में 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है, वे ऑफर फॉर सेल के जरिए केवल अपने आधे शेयर्स ही बेच पायेंगे. इसके अलावा, जिन निवेशकों की 20 फीसदी से कम हिस्सेदारी है वे ऑफर फॉर सेल में कुल होल्डिंग के 10 फीसदी शेयर ही आईपीओ में बेच सकेंगे. 
  • एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन पीरियड को भी बढ़ाकर 90 दिन करने का फैसला किया गया है. 1 अप्रैल 2022 को या उसके बाद खुलने वाले सभी इश्यू पर यह नियम लागू होगा. बुक-बिल्ट इश्यू के मामले में, सेबी ने कहा कि ऑफिशियल गजट में अधिसूचना पर या उसके बाद खुलने वाले सभी इश्यू के लिए फ्लोर प्राइस का कम से कम 105 प्रतिशत का न्यूनतम प्राइस बैंड लागू होगा.

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