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आईसीएआर- केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान ने अपना 15वां दीक्षांत समारोह मनाया

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Updated Sun, 24 Apr 2022 0:42 IST

आईसीएआर- केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान ने अपना 15वां दीक्षांत समारोह मनाया

आईसीएआर-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), मुंबई,देश में मत्स्य पालन और जलकृषि के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास करने वाला प्रमुख संगठन, ने आज अपना 15वां दीक्षांत समारोह मनाया।केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परषोत्तम रूपालाइस समारोह के मुख्य अतिथि थे।भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक, डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने इस समारोह की अध्यक्षता की।

अपने संबोधन में,श्री परषोत्तम के. रूपाला ने आईसीएआर-सीआईएफई के सभी छात्रों को आज मात्स्यिकी विज्ञान के विभिन्न विषयों में परास्नातक और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के लिए बधाई दी।उनके द्वारा उन छात्रों को भी बधाई दिया गया जिन्होंने अपने उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन के माध्यम से विश्वविद्यालय पदक प्राप्त किया है।अपने संबोधन में मंत्री ने भारत में मत्स्य पालन को चिरस्थायी बनाने और किसानों की आय दोगुना करने में मत्स्य संस्थान की भूमिका पर बल दिया, जिन्हेंमत्स्य पालन को फसलों और पशुधन की वर्तमान कृषि प्रणालियों में एकीकृत करने से प्राप्त किया जा सकता है।

अपने स्वागत भाषण में सीआईएफई के निदेशक और कुलपति, डॉ. रविशंकर सी.एन.ने संस्थान की प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।उन्होंने अनुसंधान और महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रारंभ किए गए प्रमुख कार्यक्रमों की उपलब्धियों तथा संस्थान द्वारा शुरू की गई नई शैक्षणिक पहलों को भी रेखांकित किया।

दीक्षांत समारोह के अपने संबोधन में,डॉ. महापात्र ने खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए मत्स्य पालन के महत्व पर बल दिया और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए युवा स्नातकों की भूमिका को रेखांकित किया।उन्होंने छात्रों से देश में नीली क्रांति लाने और किसानों की आय दोगुना करनेवाले लक्ष्य की प्राप्तिकी दिशा में काम करने का आग्रह किया।उन्होंने उद्यमिता विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिससे स्नातकनौकरी की चाहरखने वालाबनने के बदले नौकरी प्रदाताबनाने की इच्छा रखें। इस दीक्षांत समारोह में सीआईएफई के पूर्व निदेशक, डॉ. दिलीप कुमार को डी.एससी.की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।230 एम.एफ.एससी. और 91 पीएच.डी. की डिग्री प्रदान करने के अलावा मेधावी छात्रों को 45 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।

 

 

 

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