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कैसे Space में हो रहा pollution स्पेस स्टेशनों के लिए खतरा बन चुका है?

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Updated Wed, 2 Jun 2021 12:27 IST

कैसे Space में हो रहा pollution स्पेस स्टेशनों के लिए खतरा बन चुका है?

दुनिया के लगभग सारे ताकतवर देश धरती के साथ अंतरिक्ष में भी अपना दबदबा बनाने की कोशिश में हैं. इस बीच अंतरिक्ष में भी प्रदूषण बढ़ रहा है. मलबे का स्‍तर बेहद खतरनाक तरीके से बढ़ता जा रहा है. नासा के मुताबिक वहां पर 27 हजार से ज्यादा गैरजरूरी चीजें हैं, जो तैर रही हैं. वहीं कई टुकड़े इतने अस्थिर हैं कि उनकी निगरानी भी नहीं हो पा रही. इस मलबे के कारण भविष्य में अंतरिक्ष मिशन पर बड़ा खतरा आ सकता है.

क्या है अंतरिक्ष का कबाड़

ये दो तरह का होता है. प्राकृतिक मलबे की बात करें तो इसमें खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, और उल्कापिंड आते हैं, जो टूट-फूटकर भी स्पेस में चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इनसे कहीं ज्यादा खतरनाक है वो मलबा जो इंसानों का बनाया हुआ है. दरअसल सैटेलाइट स्थापित कर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में अब तक 23,000 से भी ज्यादा मानव-निर्मित चीजें जमा हो गई हैं. ये पुराने और खराब हो चुके सैटेलाइटों का कबाड़ है, जो यहां से वहां घूम रहा है. इनकी संख्या अंतरिक्ष में लगातार बढ़ रही है.

why satellite debris in space can be a hazard

कितना मलबा है स्पेस में 

संयुक्त राष्ट्र के स्पेस सर्विलांस नेटवर्क के अनुसार स्पेस में 10 सेंटीमीटर से बड़े लगभग 23000, एक सेंटीमीटर से बड़े लगभग 5 लाख और एक मिलीमीटर से बड़े 1 करोड़ से भी ज्यादा ऐसे टुकड़े हैं. इनको लिडार (रडार और ऑप्टिकल डिटेक्टर का मेल) नाम के उपकरण से ट्रैक किया जाता रहा है.

क्यों हो सकता है खतरनाक 

ये मलबा स्पेस के लिए काफी खतरनाक हो सकता है, जिसकी वजह है इनकी स्पीड. इनकी स्पीड प्रति सेकंड लगभग 5 मील होती है. ऐसे में तेज गति से घूमते हुए ये स्पेस स्टेशन या फिर रॉकेट से टकरा गए तो काफी नुकसान हो सकता है. यही देखते हुए आउटर स्पेस समझौते के तहत कई देशों ने ऐसे समझौते किए, जो अंतरिक्ष का कचरा कम करने में मददगार हो सकें.

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प्रदूषण घटाने के लिए क्या हो रहा है 

अंतरिक्ष का मलबा कम रखने की कोशिश में एक कदम ये भी है कि खराब हो चुके मलबे को धरती पर लौटा लाया जाए. चूंकि सैटेलाइट अंतरिक्ष से लौटकर आते हैं, लिहाजा सैटेलाइट के मलबे को किसी सुरक्षित जगह जमा करना होता है, जो आबादी से दूर हो. इसके लिए, जिस जगह का इस्तेमाल होता आया है, उसे पॉइंट निमो कहते हैं. ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है.

पॉइंट निमो है सैटेलाइट्स का कब्रिस्तान 

इसके सबसे करीब के द्वीप को भी देखना चाहें तो वो लगभग 2,688 किलोमीटर की दूरी पर है. इस जगह की आबादी से दूरी और दुर्गमता का अनुमान इससे लगता है कि इस जगह की खोज करने वाला तक यहां नहीं गया. एक कनाडियन मूल के सर्वे इंजीनियर Hrvoje Lukatela ने खास फ्रीक्वेंसी के जरिए इसका पता लगाया था. ये आज से लगभग 27 साल पहले की घटना है. इसके बाद इस जगह का इस्तेमाल होने लगा.

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यहां पर स्पेस जाने के दौरान या वहां खराब हुई सैटेलाइट या फिर उसका ईंधन गिराया जाता है. ये ढेर इतना ज्यादा है कि इसे धरती पर सैटेलाइटों का कब्रिस्तान भी कहते हैं. मलबे को गिराने के पहले आधिकारिक चेतावनी भी दी जाती है ताकि एयर ट्रैफिक न रहे. कुल मिलाकर पॉइंट निमो फिलहाल स्पेस मलबे को घटाने में काफी काम आ रहा है.

जापान में चला लकड़ी के सैटेलाइट पर प्रयोग 

पर्यावरण-प्रेमी देश जापान ने स्पेस का कचरा कम करने के लिए अनूठी पहल की. वहां लकड़ी के सैटेलाइट पर काम शुरू कर दिया है. यहां रिसर्च की जा रही है कि कैसे लकड़ी का इस्तेमाल अंतरिक्ष में किया जा सकता है. निकेई एशिया नामक जापानी मीडिया में इस रिसर्च के बारे में काफी विस्तार से छपा है कि ये किस तरह से काम करेगा. क्योटो यूनिवर्सिटी और सुमिटोमो फॉरेस्ट्री ने मिलकर इसपर काम भी शुरू कर दिया है. वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द ऐसा सैटेलाइट तैयार हो सके, जो स्पेस में कम से कम प्रदूषण करे.

 

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