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सुप्रीम कोर्ट में पहली बार, दो जजों की बेंच के दोनों जज सुनवाई से हटे, जानिए क्या है मामला?

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Updated Tue, 11 Jan 2022 12:44 IST

सुप्रीम कोर्ट में पहली बार, दो जजों की बेंच के दोनों जज सुनवाई से हटे, जानिए क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट में अपनी तरह के संभवत: पहले मामले में दो जजों की बेंच के दोनों जज सुनवाई से हट गए हैं. मामला कृष्णा नदी के पानी से जुड़ा है. नदी के पानी को लेकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच विवाद है. मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) की बेंच कर रही थी. इनमें से चंद्रचूड़ महाराष्ट्र और बोपन्ना कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं. इसीलिए दोनों ने बेंच से अपना नाम वापस ले लिया.

खबरों के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने अपने साथी जज जस्टिस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) से मशविरा करने के बाद यह फैसला लिया है. इस बाबत जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि हमारे ऊपर पक्षपाती होने के आरोप लगाए जाएं.’ जस्टिस बोपन्ना ने भी इससे सहमति जताई है. अखबार की मानें तो यह एक कारण हो सकता है. लेकिन इसका एक अन्य कारण भी है, जो मामले की संवेदनशीलता को बयान करता है. बताया जाता है कि कृष्णा नदी जल विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिन पहले ही दोनों जजों के पास बड़ी संख्या में ईमेल और पत्र आए थे. इसमें उनके गृहराज्यों का हवाला देकर आरोप लगाए जा रहे थे कि वे सुनवाई और निर्णय में अपने राज्य के साथ पक्षपात कर सकते हैं.

एक जज से इस घटनाक्रम की पुष्टि की है. उन्होंने अपने अनुभव को ‘डरावना’ बताया है. खबर की मानें तो ई-मेल और पत्रों की भाषा पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने खास आपत्ति जताई है. उन्हें डर था कि फैसला कैसा भी हो, उन्हें आगे इसके गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. दोनों जज रोज इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. अब उनके हटने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Supreme Court) नई बेंच गठित करेंगे. वो कृष्णा नदी जल-बंटवारे से जुड़े मामले की आगे सुनवाई करेगी.

कितना पुराना है विवाद
कृष्णा नदी के पानी का विवाद वैसे तो हैदराबाद और मैसुरु की रियासतों के बीच शुरू हुआ था. लेकिन वर्तमान में यह करीब 14 साल पुराना है. सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना भी) यह मामला लेकर गया था. उसका आरोप था कि कर्नाटक अपने निर्धारित हिस्से से अधिक कृष्णा नदी के पानी का इस्तेमाल कर रहा है. इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं देता कि उसने कितना पानी इस्तेमाल किया है. जबकि कर्नाटक की दलील है कि नदी का पानी समुद्र में बह जाए, इससे बेहतर है कि उसका सिंचाई आदि के लिए उपयोग कर लिया जाए. महाराष्ट्र भी कृष्णा के पानी का इस्तेमाल करता है. इसलिए वह भी पक्षकार है.

 

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