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इस ग्लेशियर में आई खतरनाक दरारें, टूटकर गिर सकता है शहर जितना बड़ा हिस्सा; मचेगी तबाही

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Updated Tue, 14 Dec 2021 13:02 IST

इस ग्लेशियर में आई खतरनाक दरारें, टूटकर गिर सकता है शहर जितना बड़ा हिस्सा; मचेगी तबाही

वॉशिंगटन: अंटार्कटिका के थ्वाइट्स ग्लेशियर से एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिर सकता है. डूम्स-डे ग्लेशियर के नाम से पहचाने जाने वाले इस ग्लेशियर में खतरनाक दरारें सामने आई हैं और माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में इसका अमेरिका के फ्लोरिडा जितना बड़ा हिस्सा टूट सकता है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि ऐसा होता है तो इससे वैश्विक समुद्र जल स्तर में अचानक काफी वृद्धि हो सकती है. यानी कई इलाके डूब सकते हैं और लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है.

कमजोर हो रही Glacier की पकड़ 

रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को जारी किए गए नए डेटा से पता चलता है कि महासागरों के गर्म होने से थ्वाइट्स ईस्टर्न आइस शेल्फ (TIES) सबमरीन शोल, या बैंक पर अपनी पकड़ खो रहा है, जो इसे शेष ग्लेशियर से जोड़े रखने के लिए एक पिनिंग पॉइंट के रूप में कार्य करते हैं. जिसकी वजह से इसमें दरारें आ रही हैं. अमेरिकी भू-भौतिकीय यूनियन की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत सैटेलाइट तस्वीरों से TIES की बड़ी दरारों के बारे में पता चला है. बैठक में शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर यह तैरता हुआ आइस शेल्फ टूट जाता है, तो समुद्र के जल स्तर में करीब 25% की वृद्धि हो जाएगी.

तेजी से बदल रहे हैं हालात

ग्लेशियोलॉजिस्ट प्रो टेड स्कैम्बोस ने बताया कि हालात तेजी से बदल रहे हैं. अगले एक दशक से भी कम समय में इस ग्लेशियर की स्थिति में नाटकीय बदलाव होने जा रहे हैं. थ्वाइट्स ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है और अब इसके एक शहर जितने बड़े हिस्से के टूटने का खतरा भी मंडरा रहा है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. वहीं, ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी के एरिन पेटिट ने मौजूदा दरारों की तुलना कार की विंडशील्ड से करते हुए कहा कि जिस तरह एक छोटी सी टक्कर से विंडशील्ड सैकड़ों टुकड़ों में बिखर सकती है, वैसा ही कुछ होने वाला है. उन्होंने कहा, 'ग्लेशियर का टुकड़ा टूटकर गिरेगा, तो इससे थ्वाइट्स ग्लेशियर का पूर्वी तिहाई हिस्सा और भी तेजी से पिघलने लगेगा. इस घटना से ग्लेशियर पिघलने की स्पीड तीन गुना हो जाएगी.

ये है Doomsday के पिघलने का कारण

वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के बढ़ते तापमान की वजह से थ्वाइट्स ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है. अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित ये ग्लेशियर समुद्र के भीतर कई किलोमीटरों की गहराई में डूबा हुआ है और इसमें से लगातार बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें टूट रही हैं. सन 1980 के बाद से, इसने कम से कम 600 बिलियन टन बर्फ खो दी है. थ्वाइट्स के कुल क्षेत्रफल की बात करें तो ये ब्रिटेन से थोड़ा ही छोटा होगा. ऐसे में इसका पिघलना पूरी दुनिया के तटीय इलाकों को तबाह कर सकता है.

पहले भी आई थी डराने वाली रिपोर्ट

इस साल की शुरुआत में भी थ्वाइट्स ग्लेशियर को लेकर एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि समुद्र के भीतर ग्लेशियर में छेद हो रहे हैं. नासा के वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया था कि ग्लेशियर में एक बड़ा छेद हो चुका है, जो अमेरिका के मैनहट्टन शहर का दो-तिहाई है. इसके अलावा ये 1100 फीट ऊंचा है. इस छेद को देखकर अनुमान लगाया गया था कि पिघली हुई बर्फ लगभग 14 खरब टन रही होगी. अब सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरों ने एक और गंभीर खतरे की तरफ इशारा किया है. वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ग्लेशियर का हिस्सा टूटने से दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर 5% तक बढ़ जाएगा. इसके कारण तटीय इलाके पानी से डूब जाएंगे.


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