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Updated Tue, 23 Nov 2021 13:19 IST
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सेंट्रल विस्टा (Central Vista) से जुड़ी एक याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि ‘हर चीज की आलोचना होनी चाहिए लेकिन वह रचनात्मक हो.’ दरअसल, याचिका में दावा किया गया था कि सेंट्रल विस्टा के जरिए इस क्षेत्र में आम लोगों की पहुंच कम हो जाएगी. जज जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा, ‘वहां निजी संपत्ति नहीं बनाई जा रही है. उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है. चारों ओर हरियाली होना तय है. अधिकारियों द्वारा योजना को पहले ही मंजूरी दे दी गई है.’ याचिका में मांग की गई थी कि उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए बन रहे आवास की जगह को बदल दिया जाए.
कोर्ट ने पूछा- ‘क्या अब हम आम आदमी से पूछेंगे कि उपराष्ट्रपति का आवास कहाँ होगा?’ सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सूरी ने अपनी याचिका में कहा था कि परियोजना के लिए कुछ क्षेत्रों में भूमि उपयोग को ‘आवासीय’ में बदल दिया गया. उन्होंने तर्क दिया कि लोगों पर असर डालेगा. वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र ‘समग्र विकास के हिस्से के रूप में हरित क्षेत्र बढ़ा रहा है.’
शीर्ष अदालत ने याचिका के जवाब में कहा कि विकास योजना में बदलाव करना संबंधित अधिकारियों का विशेषाधिकार है. यह नीतिगत मामला है.’ सरकार ने अदालत से ‘गलत’ याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था. सरकार ने कहा कि विचाराधीन जमीन का इस्तेमाल वर्षों से रक्षा मंत्रालय कर रहा है और सरकार ने जनता के लिए सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों को बढ़ाने का फैसला किया है.
क्या है Central Vista Project?
सितंबर 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक किया जाना है, जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर की दूरी को कवर करने वाली परियोजना के तहत 2024 तक साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है.
न्यायालय ने इस साल जनवरी में एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाया था कि ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और नए संसद भवन के निर्माण के लिए भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना वैध है. इसके बाद न्यायालय ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर ‘सेंट्रल विस्टा’ के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका इस साल जून में खारिज कर दी थी.