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CDS रावत: जिनके नाम से कांपते थे दुश्मन, सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर इन ऑपरेशन्स को दिया अंजाम

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Updated Wed, 8 Dec 2021 18:26 IST

CDS रावत: जिनके नाम से कांपते थे दुश्मन, सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर इन ऑपरेशन्स को दिया अंजाम

नई दिल्ली: तमिलनाडु के ऊटी के पास कुन्नूर में बुधवार को हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे में CDS जनरल बिपिन रावत बुरी तरह झुलस गए. वे अस्पताल में भर्ती थे. उस विमान में 24 लोग सवार थे जिसमें से 13 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई. इस हादसे के दौरान CDS बिपिन रावत की भी मौत हो गई. आपको बता दें कि बिपिन रावत वही अधिकारी हैं जिनके नाम से दुश्मनों की रूह कांप जाती थी. जनवरी 2020 में सेनाध्यक्ष के पद से रिटायर होने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनाया गया था. वे भारत के पहले CDS थे. 

उपलब्धियों से भरा करियर

दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें नियुक्त किया गया. भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था. जनरल रावत का करियर उपलब्धियों से भरपूर रहा था. इसे उनको मिले पुरस्कारों से समझा जा सकता है. उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिल चुके थे.  

करगिल युद्ध में लिया हिस्सा

जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया. इस युद्ध में भारत को जीत मिली थी. सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) का गठन किया था. इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था. इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की सिफारिश की थी. इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है.

पहाड़ी क्षेत्रों के माने जाते हैं दिग्गज

जनरल बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया. इस दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड का भी नेतृत्व किया. उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था. जनरल रावत ने सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी. इसमें अशांत क्षेत्रों में काम करने के उनके अनुभव की बड़ी भूमिका थी. उनके पास पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का अनुभव था. 

राष्ट्रीय सुरक्षा के विशेषज्ञ हैं CDS रावत

जनरल बिपिन रावत ने सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध भी पूरा किया और 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से उन्हें सम्मानित किया गया. वे 'राष्ट्रीय सुरक्षा' और 'लीडरशिप' पर कई लेख लिख चुके हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं.

आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन चलाने वाले सीडीएस रावत 

जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव था. वे 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख की भूमिका निभा चुके थे. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की है. सीडीएस बिपिन रावत की अगुआई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन्स को भी अंजाम दिया था. उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर किया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे. इसके अलावा 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों और आतंकियों को मार गिराया था. उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने ये एक्शन लिया था.  

चार दशकों से देश की सेवा में तैनात हैं रावत 

अपने चार दशकों की देश सेवा के दौरान, CDS रावत ने ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच में कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में सीनियर इंस्ट्रक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी थीं.

 

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