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प्याज उपजाने में बिहार ने बनाया रिकॉर्ड, 6 फीसदी उत्पादन के साथ हासिल किया चौथा स्थान

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Updated Mon, 6 Dec 2021 13:00 IST

प्याज उपजाने में बिहार ने बनाया रिकॉर्ड, 6 फीसदी उत्पादन के साथ हासिल किया चौथा स्थान

पटना. बिहार के लिए एक अच्छी खबर है. भारत के प्याज उत्पादन में बिहार चौथे स्थान पर आ गया है. इसके साथ ही देश भर के प्याज उत्पादन में बिहार की कुल हिस्सेदारी लगभग छह फीसदी हो गई है. निश्चित तौर पर बिहार जैसे राज्य के लिए ये बड़ी खबर है, जहां कई बार प्याज की किल्लत की खबर आती है. बिहार में लगभग 58 लाख हेक्टेयर खेत में प्याज की खेती होती है और लगभग 13 से 14 लाख टन प्याज का उत्पादन होता है जिसमें सबसे ज़्यादा नालंदा और पटना जिला में प्याज़ का उत्पादन होता है.

फिलहाल बिहार का प्याज़ देश के दूसरे राज्यों के साथ-साथ बांग्लादेश में भी निर्यात होता है जहां बिहार के प्याज का काफी डिमांड है. बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने इस बात को लेकर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि प्याज़ का बढ़ता उत्पादन बिहार में कृषि के विकास को दर्शाता है. हमारी सरकार ये पूरा प्रयास करेगी की प्याज़ उत्पादन करने वाले किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा हो. इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रोसेसिंग और भंडारण क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि किसानो का प्याज बर्बाद ना हो और प्याज़ का प्रोसेसिंग बिहार में बड़े पैमाने पर होने से किसानों को भी काफी फायदा होगा. इसके लिए सरकार प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए प्रोत्साहित भी करेगी.

प्याज़ के उत्पादन बढ़ने से किसानो को बड़ा फ़ायदा तभी होगा जब प्याज़ के भंडारण की समुचित व्यवस्था हो ताकि प्याज़ उत्पादन करने वाले किसानो का प्याज़ सुरक्षित हो सके जिसका फ़िलहाल अभाव है, साथ ही प्याज़ किसानो को अपने उत्पादन को बेचने का मार्केट भी उपलब्ध हो सके. प्याज के प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज़्य के उन ज़िलों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य  उद्यम उन्नयन योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना से भी जोड़ना होगा जिसके माध्यम से प्याज़ को बर्बाद होने से बचाया जा सके.

फिलहाल बिहार के दो ज़िले पटना और शेखपुरा को जोड़ा गया है. वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना से जुड़े फ़ूड विशेषज्ञ रितेश कुमार बताते हैं कि प्याज़ से जुड़े प्रोडक्ट जैसे प्याज़ का पाउडर और पेस्ट का बाज़ार में ज़बरदस्त मांग है. फिलहाल बिहार में जितनी मांग है उतना मार्केट पूरा नही कर पाता है इस वजह से दूसरे राज्यों से मंगाया जाता है अगर बिहार में ही ऐसे छोटे छोटे उद्योग बैठाए जाएं जिसकी लागत लगभग दस लाख के आसपास आती है तो इसका बड़ा फायदा बिहार के प्याज़ उत्पादन करने वाले किसानों को मिल सकता है और इसका फायदा बिहार के लोगों को भी मिलेगा.

 

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