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राज्य
Updated Wed, 26 May 2021 15:08 IST
पटना. बिहार में कोरोना का कहर लगातार जारी है. इस संकट सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल पूरी तरह से खुल चुकी है. पटना के सरकारी हॉस्पिटल हों या फिर जिला अनुमंडल या प्रखंड के हॉस्पिटल, सबकी एक तस्वीर सामने आ रही है. राज्य सरकार अस्पतालों की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के नाम पर हर साल करोड़ो रुपए पानी की तरह बहाती है. भवन निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लगाया जाता है. मकसद होता है कि जनता को बेहतर इलाज की व्यवस्था उपलब्ध कराना लेकिन ये व्यवस्था सिर्फ कागजों पर ही सुदृढ़ होती है.
दानापुर विधानसभा क्षेत्र में आता है अस्पताल
सुदूर देहात की बात छोड़िए राजधानी पटना में भी यही हालात हैं. हम आपको पटना के रुकुनपुरा मोहल्ले में अवस्थित एक आदर्श स्वास्थ्य उपकेंद्र की तस्वीर दिखा रहे हैं. इस तस्वीर को देख आप समझ जाएंगे कि सरकार की तरफ से जो दावे किए जाते हैं उसमें तनिक भी सच्चाई नहीं. नीतीश कैबिनेट में डिप्टी सीएम रेणु देवी का मोहल्ला रुकुनपुरा है. ये इलाका दानापुर विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां उनका एक निजी फ्लैट है. इसी इलाके में एक सरकारी अस्पताल है वह अस्पताल आज तबेला बना है. वहां अब जानवरों और आवारा पशुओं का बसेरा है. यहां इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. न कोई स्टाफ न डॉक्टर, खंडहर बना बिल्डिंग बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का मुंह चिढ़ा रहा.
महीने में एक-दो बार आते हैं कर्मचारी
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति भी की गई है लेकिन वो 1-2 महीने में एकाध बार दिखतीं हैं. जब लोग उनसे स्वास्थ्य केंद्र नहीं आने का कारण पूछते हैं तो उनका कहना होता है कोविड-19 में उनकी ड्यूटी दूसरे अस्पतालों में लगी है जिसकी वजह से रुकुनपुरा स्थित प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं आ पाते हैं. इस वार्ड की पार्षद मधु चौरसिया का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र को नियमित चालू करने के लिए उन्होंने कई बार प्रयास किया लेकिन यह चालू नहीं हो सका. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि रुकनपुरा के इस प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र को जल्द से जल्द चालू करा कर इसमें टीकाकरण अभियान शुरू किया जाए .







