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हमला बोलने की स्थिति में यूक्रेन सीमा पर तैनात हैं 40 फीसदी रूसी सैनिक, अमेरिका का दावा

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Updated Sat, 19 Feb 2022 11:46 IST

हमला बोलने की स्थिति में यूक्रेन सीमा पर तैनात हैं 40 फीसदी रूसी सैनिक, अमेरिका का दावा

एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन  की सीमा पर 40 प्रतिशत से अधिक रूसी सैनिक अब हमला बोलने की स्थिति में हैं और मास्को ने इसके लिए अस्थिर अभियान शुरू कर दिया है. नाम न उजागर करने की शर्त पर अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसका अनुमान है कि रूस ने यूक्रेन की सीमाओं के पास 150,000 से अधिक सैनिकों को जमा कर रखा है, ने बुधवार से महत्वपूर्ण सैन्य हलचल देखा है.

अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, "चालीस से पचास प्रतिशत रूसी सैनिक हमले की स्थिति में हैं. पिछले 48 घंटों में वहां सामरिक सैन्य जमावड़ा किया गया है." अधिकारी ने बताया कि सैन्य जमावड़ा बिंदु रूस-यूक्रेन सीमा के बगल क्षेत्र में स्थित है, जहां हमले से पहले सैन्य इकाइयां स्थापित की जाती हैं.

 

अधिकारी ने कहा कि मास्को ने यूक्रेन की सीमा पर करीब 125 बटालियन सामरिक समूहों का जमावड़ा किया है जबकि सामान्य समय में यह 60 बटालियन होता था. फरवरी की शुरुआत में यह बढ़कर 80 बटालियन से ज्यादा थी.

 

अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन के दक्षिणपूर्वी डोनबास क्षेत्र में रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन सरकार बलों के बीच संघर्ष में वृद्धि और रूस और डोनबास में अधिकारियों के भड़काऊ दावों से पता चलता है कि "अस्थिरीकरण अभियान शुरू हो चुका है."

 

वाशिंगटन ने चेतावनी दी है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने के बहाना ढूंढ़ने के लिए क्षेत्र में किसी भी घटना के जरिए इसे उकसा सकता है या गढ़ सकता है. अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने एबीसी न्यूज के कार्यक्रम "दिस वीक" में बताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास कई विकल्प उपलब्ध हैं और वह बहुत जल्द हमला कर सकते हैं.

 

ऑस्टिन ने कहा, "मुझे विश्वास नहीं है. यह एक झांसा है. मुझे लगता है कि वह जान-बूझकर इकट्ठे हुए हैं ... एक सफल आक्रमण करने के लिए आपको किस प्रकार की चीजों की आवश्यकता होती है?"

 

मॉस्को इस बात से इनकार करता रहा है कि पश्चिमी पड़ोसी पर उसके हमला करने की योजना है, लेकिन वह इस बात की गारंटी की मांग कर रहा है कि यूक्रेन कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा और पश्चिमी गठबंधन पूर्वी यूरोप से सेना को हटा ले. पश्चिमी देशों ने रूस की इस मांग को ठुकरा दिया है.

 


बता दें कि 2014 में, रूस ने अलगाववादियों की सहानुभूति का उपयोग करते हुए यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया था और उस पर कब्जा कर लिया था.

 

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