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185 करोड़ का बैंक लोन केस: आशीष झुनझुनवाला से ED कस्टडी में पूछताछ, मिली कई अहम जानकारी

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Updated Mon, 22 Nov 2021 23:39 IST

185 करोड़ का बैंक लोन केस: आशीष झुनझुनवाला से ED कस्टडी में पूछताछ, मिली कई अहम जानकारी

नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Enforcement Directorate) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए बैंक लोन से जुड़े फर्जीवाड़ा मामले में काफी देर तक पूछताछ करने के बाद  आशीष झुनझुनवाला (Ashish Jhunjhunwala) नाम के एक आरोपी कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है.

18 नवंबर को आरोपी आशीष झुनझुनवाला को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद सात दिनों की रिमांड (ED Custody) के दौरान जांच एजेंसी ने उन तमाम सरकारी अधिकारियों के बारे में पूछताछ किया जो इस फर्जीवाड़े में शामिल रहे हैं. जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक आरोपी आशीष झुनझुनवाला कोलकाता स्थित  मेसर्स रामसरूप इंडस्ट्रीज लिमिटेड नाम की कंपनी का निदेशक (Director/Promoter) है, जिसे जांच एजेंसी की तफ़्तीश करने वाली टीम ने काफी देर तक पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार किया है.

बैंक लोन फर्जीवाड़ा का क्या है मामला
ईडी के सूत्रों के मुताबिक आशीष झुनझुनवाला की कंपनी मेसर्स रामसरूप इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक लिस्टेड कंपनी (Company Listed on both NSE and BSE) है. इसी कंपनी के नाम पर कंपनी के निदेशकों सहित कई अधिकारियों द्वारा एक राष्ट्रीयकृत बैंक से करीब 185 करोड़ रुपया कर्ज लिया गया था, लेकिन कर्ज प्राप्त करने के बाद से ही कर्ज लेने के उद्देश्य को छोड़कर किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए उस पैसों को डाइवर्ट कर दिया, जिसका फायदा कंपनी के निदेशकों द्वारा उठाया गया.

सीबीआई ने जून 2017 में दर्ज कराई एफआईआर
इस मामले में इस कंपनी और उस कंपनी (M/s Ramsarup Industries Limited) के निदेशकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई. इस मामले में साल 2017 में 12 जून को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा कोलकाता स्थित ब्रांच में एक एफआईआर दर्ज करवाया गया. इसी एफआईआर को आधार बनाते हुए बाद में ईडी ने इस केस को टेकओवर कर लिया. उसके बाद इस केस में कई आरोपियों से कई बार पूछताछ की गई.

जांच एजेंसी द्वारा इस मामले में कोलकाता सहित पांच स्थानों पर छापेमारी की गई थी. छापेमारी के दौरान जांच एजेंसी के तफ़्तीशकर्ताओं ने काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूतों को इकठ्ठा किया था. इसके साथ करोड़ो रुपये के फर्जी लेनदेन (Bogus Transactions) के बारे में जानकारी मिली थी. उसी मामले के आधार पर जल्द ही कई आरोपियों की गिरफ्तारी संभव है.

 

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